Saturday, August 20, 2011

Tum Hi Ho...

Tum Hi Ho...

Kuchh baat jo ankahi si thi wo aaj jubaan pe aayegi,
Man mein umang or hontho pe muskaan khil jayegi,
Apni hi prashansaaon ko jab sunogi tum mujhse,
Main jaanta hoon ki tum bahut sharmaogi...

Dil jiska ganga sa pavitra,
Man chanchal, komal hai charitra,
Hansi jiski ha ghanishta mitra,
Koi or nahi wo tum hi ho...

Mere man ko chhokar pawan mandir karne wali,
Man mein umang, dil mein tarang, jeevan mein rang bharne wali,
Meri sakha, meri hi mitra,
Koi or nahi wo tum hi ho...

Jeevan ki kathinaiyon ko hansi-khushi jeene wali,
Anginat galtiyon ko apne man mein kshan mein peene wali,
Sab khatti-meethi yaadon se man ke pehloo seene wali,
Chintit, tatpar or sahansheel,
Koi or nahi wo tum hi ho...

Ishta charnon mein sada apne man ko ramne wali,
Sabki khushi kohi apni khushi sada kehne wali,
Kehkar ke apni baato ko sada poora karne wali,
Acchhi beti, sachhi behen,
Koi or nahi wo tum hi ho...



तुम ही हो ...

कुछ बात जो अनकही सी थी वो आज जुबान पे आएगी ,
मन में उमंग और होंठो पे मुस्कान खिल जाएगी ,
अपनी ही प्रशंसाओं को जब सुनोगी तुम मुझसे ,
मैं जानता हूँ की तुम बहुत शर्मोगी...

दिल जिसका गंगा सा पवित्र,
मन चंचल, कोमल है चरित्र,
हंसी जिसकी है घनिष्ट मित्र,
कोई और नहीं वो तुम ही हो...

मेरे मन को छूकर पावन मंदिर करने वाली,
मन में उमंग, दिल में तरंग, जीवन में रंग भरने वाली,
मेरी सखा, मेरी ही मित्र,
कोई और नहीं वो तुम ही हो...

जीवन की कठिनाइयों को हंसी-ख़ुशी जीने वाली,
अनगिनत गलतियों को अपने में क्षण में पीने वाली,
सब खट्टी-मीठी यादों से मन के पहलू सीने वाली,
चिंतित, तत्पर और सहनशील,
कोई और नहीं वो तुम ही हो...

इष्ट चरणों में सदा अपने मन को रमने वाली,
सबकी ख़ुशी को ही अपनी ख़ुशी सदा कहने वाली,
कहकर के अपनी बातो को सदा पूरा करने वाली,
अच्छी बेटी, सच्ची बहिन,
कोई और नहीं वो तुम ही हो...

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